श्वेत-श्वेत सी जो यह धरा इस धरा में मुझे बह जाने दो। श्वेत-श्वेत सी जो यह धरा इस धरा में मुझे बह जाने दो।
न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही। न कवियों में कवि फिर भी सुन रहे समय बिताने को ही सही।
हिंदी सींचती वात्सल्य से रोज़, आज ममतामय हुआ है भारत। हिंदी सींचती वात्सल्य से रोज़, आज ममतामय हुआ है भारत।
ये हिंदी हमारी अति न्यारी मां सम प्यारी जगत दुलारी मातृभाषा हमारी। ये हिंदी हमारी अति न्यारी मां सम प्यारी जगत दुलारी मातृभाषा...
सिखलायेगा वह ऋतु,एक ही अनल है, ज़िन्दगी नहीं वह जहाँ नई हलचल है। सिखलायेगा वह ऋतु,एक ही अनल है, ज़िन्दगी नहीं वह जहाँ नई हलचल है।
सारी दुनिया अब देख रही, क्या था,मैं और क्या से क्या अब हो गया। सारी दुनिया अब देख रही, क्या था,मैं और क्या से क्या अब हो गया।